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Love in kanpur

Hindi Stories
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“वॉव, क्या माल है|”
“उहु उहु (किसी ने बनावटी खाँसा)”
“आह! आ गयी”
खचाखच भरी क्लास मे जब उन दोनों की एंट्री हुई पूरी क्लास मानो चहक उठी | सभी लड़को के चेहरे पर एक स्माइल आ गयी|दोनों थी ही कुछ ऐसी कि क्या बताऊँ कयामत थीं वो दोनों | क्लास मे कौन होगा जो उन पर न मरता हो |क्लास के कुछ जाने पहचाने चेहरे थे –अर्जुन रितेश ऋषभ पुष्पेंद्र | पुष्पेंद्र तो बायो वाली क्लास से फ़ेमस हुआ था मैडम हमेशा उसको टोकती थी क्यूकी वो हमेश क्लास मे बात करता रहता था वैसे तो क्लास मे और भी लोग बात करते रहते थे लेकिन मैडम उसी को टोकती थी |मैडम उसे हमेशा उसे टोकते हुए कहती थी “बात मत करो| हे भगवान ! तुम कब सुधरोगे ” | और बाकी लड़के इस बात का मज़ाक उडाते थे कि मैडम तुमको ही क्यों मना करती है | मैडम भी हम ही लोंगों कि एज की लगती थी|वो हमसे कुछ 3-4 साल ही बडी होगी |हमने तो पुष्पेंद्र और बायो वाली मैडम का अफेयर घोषित कर रखा था बस ऐसे ही | अगर कभी मैडम लेट हो जाती तो हम कहते क्या यार कभी पिक भी कर लिया करो अकेले चले आते हो |
अर्जुन एक स्मार्ट हैंडसम और इंटेलिजेंट लड़का था |उसकी एक खाशियत थी जब तक वो दूसरों की मौज लेता था उसे बड़ी मज़ा आती थी लेकिन जब कोई उसकी लेने लगता तो उसका चेहरा देखने लायक होता था | उसका एक किस्सा अभी थोड़े दिन पहले ही क्लास मे हुआ |अर्जुन रितेश और ऋषभ दोस्त थे और एक ही बेंच पर साथ मे बैठते थे। उस दिन वो लड़कियो कि जस्ट पीछे वाली सीट मे बैठे हुए थे और उस दिन लास्ट सीट मे पिन बाल बैठी हुई थी मैथ्स की क्लास थी/ मैथ्स वाले सर hcf /lcm पढ़ा रहे थे उसका एक कान्सैप्ट है बड़े से बड़े मे hcfऔर छोटे से छोटे मे lcm लेते है / सर अभी एचसीएफ़ पढ़ा रहे थे उन्होने अभी दो टाइप के सवाल बताए थे |वो देख रहे थे की उन तीनों की नजरे मोस्ट ऑफ द टाइम पिन बाल पर थी | फिर सर बोले तीसरा टाइप तभी अर्जुन बोल पड़ा छोटी से छोटी | यह सुनकर सर भी मज़ाक करते हुए बोले “ बेटा सही से पढ़ लो जो करने आते हो “ फिर उसकी तरफ इशारा न करते हुए लेकिन उसी क लिए बोलते हुए कहने लगे “ कुछ लोग इम्प्रैशन डालने के लिए स्पेशल वर्ड कहते है कुछ लोग कर के दिखते है | आप लोगो ने रास्ते मे देखा होगा कि लड़के इम्प्रेस करने क लिए कैसे कैसे स्पेशल वर्ड्स का यूज करते है उन्हे लगता है कि अच्छा इम्प्रैशन पड़ रहा है लेकिन ऐसा होता नही है आप लोग पढ़ने की फीस देते है तो पूरे एक घंटा युट्रिलाइज करने की कोशिश किया करो”|
अर्जुन के चेहरे पर तो मानो धुआं छा गया था |फिर तो इतनी मौज ली रितेश और ऋषभ ने कि उसका मुह देखने लायक बन चुका था अर्जुन को अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि उसने ऐसा क्यूँ कहा |
रितेश भी एक होशियार लड़का था वो तो हर एक क्लास मे बोलता रहता था इसी वजह से सारे टीचर्स उसको जानते थे बोलने की वजह से नही उसकी इंटेलिजेंस कि वजह से| ऋषभ एक एवरेज लड़का था उसने अभी रिसेंटली रीजनिंग कि टेस्ट मे हाईएस्ट स्कोर किया था | तो ऐसी थी हमारी एसएससी कोचिंग क्लास |
इंट्रों तो हो गया अब पिन बाल कि बात करते है पिनबाल दर असल मे एक दुबली पतली लेकिन स्मार्ट ब्यूटीफुल लड़की थी उसके नैन नख्श बड़े तीखे थे और उसकी सहेली भी उसी की तरह किलर थी |पिन बाल का असली नाम सुलोचना था और उसकी सहेली का कीर्ति /रितेश तो पहले ही दिन से पिन बाल पर मरता था| वो तो उससे बात करने के बहाने ढूंढा करता था | मैथ्स के क्लास टेस्ट मे वो सवाल आते हुए भी उससे फार्मूले पूछता था तो कभी उसकी राइटिंग की बढाई करता था /और शायद सुलोचना भी उसे चाहने लगी थी वो उसके बेकार से बेकार जोक पर भी मुस्कुरा देती थी /और पिन बाल की स्माइल तो थी ही कातिलाना , रितेश के दिल पे तो मानो बिजली गिर जाती थी /जब कभी भी वो पिन बाल को देखता तो उसे बिलकुल फिल्मों वाली फीलिङ्ग्स होने लगती थी उसे और किसी बात की खबर ही नही होती थी एक दो बार तो वो इंग्लिश की क्लास मे मार खाने वाला था इसी वजह से, लेकिन धन्य हो एण्ड्रोयड बाबा का जो हिंखोज डिक्सनरी ने बचा लिया /
पिन बाल नाम भी रितेश और अर्जुन ने रखा था वास्तव मे पिन बाल थोड़ी दुबली थी तो वो जब भी सलवार कमीज पहन के आती थी उसके कंधे कि हड्डियां दिखाई देती थी जब वो कोई मूवमेंट करती तो बोन्स ऊपर नीचे होती थी ये देखकर रितेश को एक गेम याद आया जो विंडोज एक्सपी मे खेला जाता था इसमे एक बाल होती थी और बॉटम मे दो हैन्ड्स होते थे जिनहे ऐरो केस से चलाया जाता था रितेश को नाम नही याद आ रहा था तभी अर्जुन बोला “पिन बाल “|

रितेश को तो अब रात दिन उसी का ध्यान रहता था / अब वो रात को काफी देर तक चाँद को देखते हुए जाने क्या सोचता रहता था / पहले वो जिन बातों को फिल्मी और सिर्फ बकवास कहता था आज वही सब उसके साथ हो रहा था / कभी उसे आसमान मे चाँद बड़ा दिखाई देता तो कभी वो रास्ते मे चलते चलते यूही मुस्कुरा देता था /उसे वो दिन हमेशा याद आता था जब सुलोचनाका दुपट्टा उसके चेहरे को छूते हुए गुजरा था वो पल याद करके आज भी उसके मन मे गुदगुदी सी होने लगती थी /रितेश को पिन बाल की वो प्रश्न भरी सुनहरी आंखे जो मानो उससे कोई सवाल पूछ रही हो,बहुत अच्छी लगती थी / ऐसी आंखे सारी लड़कियों की होती है या पिन बाल वास्तव मे उससे कुछ कहना चाहती थी / मासूमियत से उसकी तरफ निहारती वो आस से भरी नजरे रितेश के जेहन मे घूमती रहती थी / जनाब तो अब शायर से होने लगे थे उन्होने कुछ पंक्तियाँ भी लिखी थी जो इस प्रकार है /……
यूं खामोश सी नज़रों से , वो मिले एक दिन राह पर ,
उन्हे क्या पता के उनकी खामोशी भरी निगाहें भी क्या-क्या जिक्र कर गयी /
तेरे इश्क़ की खुशबू मे यूं खिचे से चले आते है हम ,
क्या कहूँ ये तेरे इश्क़ का असर है या हुस्न का /
संग दो कदम चलने की आरज़ू कभी, तुम करो तो सही,
दो कदम क्या सारी उमर , चलता रहूँगा यूंही /
मुझे यकीन है होगी पूरी इक दिन ये आरजू भी मेरी,
तेरी पलकों के नीचे इश्क का समंदर देखा है मैंने/
लाख जतन कर ले इस सैलाब को छुपाने का ,
छलक कर किसी रोज इस दिल की प्यास मिटाएगा /
इस जनम न सही तो फिर कभी सही ,
पर यकीन है मुझको तू मेरे करीब जरूर आएगा-करीब जरूर आएगा /
ये आरजू थी, ये आरजू है और ये ही रहेगी ,
तेरे संग अब जीना है मुझे , और संग तेरे उस जन्नत को पा जाऊँगा /

रितेश अभी तक इन शब्दों को अपने लबजों की जुबान नहीं दे पाया था /वो पिन बाल को प्रपोज करना चाहता था |पिन बाल भी उसको लाइक करती थी | नवम्बर आ चुका था और दिसम्बर लास्ट मे कोचिंग बंद हो जानी थी इसलिए रितेश ने उसे जल्दी से प्रपोज करने कि सोची |

उस दिन पिन बाल जल्दी आ गयी थी और उसकी सहेली भी | एक भाभी जी भी आती थी वो मैरीड थी इसलिए हम उनको ATM = AUNTY TYPE MALL कहते थे | अर्जुन की एटीएम से अच्छी बनती थी इसलिए रितेश ने एटीएम के जरिये बात आगे बढ़ाने की सोची ,रितेश थोड़ा शर्मीला भी था और डाइरेक्ट बोलने पर अगर उसने माना कर दिया तो इस बेइज़्ज़ती से डरता था इसलिए उसने एक लव लेटर लिखकर एटीएम को दे दिया एटीएम ने जैसे ही वो लेटर उसके बैग के ऊपर रखा तभी दलाल आ गया | हम रीसेप्सनिस्ट को दलाल कहते थे वो अटेंडेंस शीट लेने आया था| उसने सोचा वही पन्ना है इसलिए उसने लेटर उठा लिया | रितेश सोच रहा था की कितना बेवकूफ है वो जो उसने लेटर बिना फ़ोल्ड किए ही दे दिया रितेश की तो पूरी तरह बजी पड़ी थी धन्य हो एटीएम का जो उन्होने तुरंत ही वो पन्ना छीन लिया और बोला की ये अटेंडेंस शीट नही है ये मेरा पन्ना है |
उस दिन तो रितेश बच गया रितेश ने वो पन्ना वापस ले लिया और फाड़ दिया |उसके बाद तो रितेश की हवा टाइट हो गयी थी | रितेश ने कई दिनों तक कोई अगला स्टेप नही लिया |लेकिन रितेश के दिमाग मे दिन रात सुलोचना की ही शक्ल घूमती रहती थी/ उसे तो सुलोचना मे अपनी हीरोइन नज़र आती थी / रितेश को उसकी आंखे काजल अग्रवाल (सिंघम मूवी की हीरोइन ) की याद दिलाती थी और उसकी स्माइल तो उसके पास तो उसे बयान करने के लिए शब्द ही नही थे / उसे अब राह चलते मोबाइल पर बात करते सभी लोग फालेन इन लव लगने लगे थे वो सोचता था की ये सभी अपने प्रेमी या प्रेमिकाओ से बात कर रहे है / रितेश के विचारों मे भी अब स्पष्ट फर्क आ गया था / उसे अब लव स्टोरी वाली मूवीज बहुत अच्छी लगने लगी थी /
कोचिंग बंद होने मे सिर्फ 20 दिन बाकी थे रितेश अब और देर नही करना चाहता था | उसने देखा की आजकल पिन बाल पैदल ही आती थी इसलिए उसने रास्ते मे प्रपोज करने का प्लान बनाया 16 दिसम्बर का दिन था ज्यादा ठंड नही थी धूप निकली हुई थी रितेश आज बिलकुल तैयार होकर आयाथा नए कपड़े zatakका डिओ डालकर आया था उस दिन मंगलवार था इसलिए वो मंदिर मे बजरंग बली को प्रसाद चढा के आया था उसने सोच रखा था की अगर कुछ गलत हुआ तो अगले दिन से कोचिंग जाना बंद |
दोनों दोस्तो ने पहले तो उसका बहुत साहस बढ़ाया लेकिन कोचिंग ओवर होते समय बोलने लगे बेटा अगर लड़की ने शोर मचा दिया तो बहुत पेले जाओगे पब्लिक फ्री मे हाथ साफ करेगी आके| मुंडन हो जाएगा बीच चौराहे मे और अगर गलती से पुलिस आ गयी तो बेटा फिर तुम्हारी छी छी थू थू हो जाएगी | बेटा कस के हौके जाओगे घर मे ,बापू लठियाएंगे बहुत| लेकिन रितेश प्रिपेयर हो के आया था इसलिए वो बोला आज या तो आर या पार| फिर रितेश कुछ शायराना अंदाज़ मे बोला
न डर इस जमाने का है , न डर है इन दीवारों का /
हम तो बस उनकी इक न से डरते है//
दोस्तो की बाते सुनकर रितेश अंदर से काफी डर रहा था उसने रास्ते पिन बाल को आवाज देकर रोका “ ए ए ए ….सु सु सुलोचना“ उसकी आवाज डर की वजह से शाहरुख जैसी निकाल रही थी जब वो उसके पास पहुचा तो देखा रोड मे ओपोजिट साइड से दो ठुल्ले ( पुलिस वाले ) आ रहे थे उसकी तो पुंगी बज गयी | फिर वो अपने आप को कंट्रोल करते हुए बोला “ अपनी बायो के नोट्स दे दो “ और थैंक्स बोलकर जाने लगा / सुलोचनाउसके चेहरे की तरफ उसकी आँखों मे देख रही थी / शायद उसकी हाँ थी लेकिन रितेश और कुछ बोले बिना ही वह से चला गया / सुलोचनारास्ते मे उसको जाते हुए मुड़ मुड़कर देख रही थी लेकिन रितेश वापस नही आया / घर जाते समय रितेश सोच रहा था की साला 1 अप्रैल को आई लव यू बोलना चाहिए लड़की की हाँ तो जैकपॉट बल्ले बल्ले नही तो कह दो april fool बना रहा था|
रितेश ने डेडलाइन 25 दिसम्बर तय की | उस दिन वो कोचिंग के टाइम से पहले ही घर से निकाल गया | उस दिन कोहरा काफी घना था शायद सीज़न का सबसे घना कोहरा आज पढ़ रहा था जैसे ही वो ऑटो से उतरकर पे कर रहा था उसकी नज़र सामने पड़ी,पिनबाल मार्केट जा रही थी रितेश भी जल्दी से छुट्टे लेकर उसके पीछे चल पड़ा वो एक गारमेंट स्टोर के सामने जाकर रुकी और लंबी डोरी वाला स्कार्फ खरीदने लगी | पीछे से रितेश बोल पड़ा “ ग्रीन वाला तुमपे अच्छा लगेगा” वो चौंक के पीछे मुड़ी तो देखा वहा रितेश खड़ा था और मुस्कुरा रहा था वो सुलोचनाके पास आया और हाथ पकड़ के बोला “ I LOVE YOU” तभी तड़ाक की आवाज़ आई…………………/,…………………सुलोचना ने रितेश को थप्पड़ मारा था/दुकान मे सन्नाटा छा गया / कुछ पलों तक कोई कुछ नही बोला / दुकानदार उन दोनों को ही देख रहा था/
कि तभी सुलोचनाबोली“तीन महीने लगते है I LOVE YOU बोलने मे “| रितेश इससे पहले कुछ और बोलता वो बोली” चुप क्यो हो …..icecreamखाने के लिए चलने के लिए कहोगे या उसमे भी ……………………….मुझे लगता है संता ने मुझे मेरा गिफ्ट डिलीवर कर दिया ……………………..तुम कुछ बोलो ना बोलते क्यू नही ………..रितेश अपना गाल सहलाते हुए बोला “ हाँ” और कुछ सोचते हुए मुस्कुरा दिया |
दोनों उस दुकान से निकल कर बाहर चल पड़े प्यार की उस अनोखी दुनिया मे ये कहते हुए ………………MERRY CHRISTMASपीछे से दुकानदार चिल्ला रहा था “अरे ! ये स्कार्फ तो लेते जाओ” लेकिन अब उसकी आवाज़ कौन सुनता /
इश्क के किस्से तो हज़ार सुने होंगे ,
इश्क के किस्से तो हज़ार सुने होंगे,
पर उमरें गुजर जाती है ,एक को ही जीने मे/*

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